
MCD ( Municipal Corporation Of Delhi / दिल्ली नगर निगम ) ने 3500 DBC कर्मचारियों को भर्ती किया था जो दिल्ली हाईकोर्ट में केस जीत चुके हैं। MCD के द्वारा कोर्ट कि अवहेलना कि गई है। इन्हें कोर्ट के स्थाई आदेश के बाद भी स्थाई वेतन नहीं दिया जा रहा है।
लेकिन विभाग ने इनका कोई साथ नहीं दिया और बहुत सी मीटिंग होने पर भी इनका 25 साल से कोई भी हल नहीं निकाला है ।
आपको बता दें कि DBC Workers का दिल्ली मे डेंगू को कम करने में बहुत भूमिका है , 2015 में डेंगू के केस 15,867 हो गए थे और 60 लोगों की मौत हुई थी पर DBC Workers के बहुत मेहनत के कारण यह आंकड़ा 2020 में सिर्फ 1,000 केस के लगभग हो गया था। डेंगू की रोकथाम के लिए DBC Workers छतों पर चढ़कर टंकियों और घरों-दफ्तरों के कूलरों को चेक करते हैं और उन में दवाई डालते हैं Workers पर इतना अत्याचार नहीं होना चाहिए जब विभाग ने भर्ती किया है तो इन के बारे में आगे भी कदम बढ़ाना चाहिए।
DBC Workers 1996 से बहुत कठिन श्रम करते करते बहुतों ने जान तक दे दी।अब इनकी ओर ध्यान देंना चाहिए ,इतने लम्बे समय के कारण MCD स्वयं कर्मचारियों का विश्वास अपने ऊपर से खो चुकी है। इसलिए अब इन्हें अपने प्रति विश्वास जगाने के लिए हाईकोर्ट के आदेश को लागू करना चाहिए, नहीं तो ये बहुत बड़ी ना इंसाफी होगी और कर्मचारियों कि संवेदना और इंसानियत का हनन होगा। इन कर्मचारियों के 25 वर्ष के लम्बे अर्से पर ध्यान देना ही चाहिए। इन कर्मचारियों के लिए तुरंत परमानैन्ट का वेतन जारी करना चाहिए।
जब हमारी भारतीय सभ्यता में एक चींटी और पक्षियों और पशुओं का भी बहुत ध्यान रखा जाता है तो इन कर्मचारियों को इनका हक क्यों नहीं दिया जाता ?
इसलिए इनका भारत सरकार और निगम से निवेदन है इस पर गंभीरता से विचार करें और जल्द निर्णय लेकर आदेश जारी करें और इस शुभ काम को अति सीघ्र करें और अपनी ओर कर्मचारियों का फिर से विश्वास हासिल करें।